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दशकों पहले इस गांव पर भुखमरी का हमला हुआ था। इन्हों ने प्राणपण् से इस आपदा से लोहा लिया और अंतत: पूरे गांव को भूख से निजात दिला दी। इन्हेंा भूख के खिलाफ अप्रतिम साहस और दृढ़ता के लिए अशोक चक्र से सम्माोनित किया जाता है।…..
और यह हैं अशिक्षा को खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ने वाले सिपाही। इनकी अद्भुत वीरता के लिए देश इन्हें् विजय चक्र देकर गौरवान्वित है।
और अब आ रही है झांकी उस अभियान की जिसने देश में लोगों को पानी बचाना सिखा दिया। यह अपने तरह का अनोखा अभियान था। राजपथ पर इसे देखकर देश गर्व महसूस कर रहा है।
और यह आज के कालाहांडी की झांकी, आत्मकनिर्भर विकसित और भरा पूरा। कभी यह देश का अभिशाप था।
यह है लहलहाते बुंदेलखंड की झांकी::: पीछे आ रहा है नाचता कूदता विदर्भ… किसानो की आत्मैहत्याे यहां अतीत की बात है।
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धांय…. धांय…. धांय …मेरी तंद्रा टूट गई। टीवी पर सलामी देती तोपें गरज रही थीं। :::: राजपथ पर स्म र्ज और अग्नि थे…फोन ने भी कुनमुनाना शुरु कर दिया।
किसी ने कहा कैसे कैसे सपने देखते हो , वह भी दिन में ??????
यह दुनिया के सामने देश की ताकत का प्रदर्शन है। ::::
मुझे समझ नहीं आया कि हम किसे डरा रहे थे ?
Everything in this post may be wrong…..
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